उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है!जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है!दिल टूटकर बिखरता है इस कदर!जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!
from : Dil Shayari