तू शर्मीली सिमटी सी,है शोख़ तितली सी तू
रेशम की नरमी सी,,जाड़ो की गर्मी सी तू
रातो की काजल सी,तारों के आँचल सी तू
तू बादल के बालो सी,दिन के उजालो सी तू
दिलकश खयालो सी,रंगी ख्वाबो सी तू
तेरे सवालो सी,मेरे जवाबो सी तू
ओस में जैसे नहाईं,लबो पे खिली है मुस्कान
तू हैं फ़रिश्तों के जैसी,रूह की है जैसे तू जान
तुझ को जो पा जाऊं,होश में ना मैं आऊ
तू झिलमिल बहारो सी,रिमझिम फ़ुहारों सी तू
अनजाने यादो सी,पहचाने वादो सी तू
वन की गुफ़ाओं सी,सातो शमाओं सी तू
तू शर्मीली सिमटी सी,है शोख़ तितली सी तू
रेशम की नरमी सी,जाड़ो की गर्मी सी तू
from : Hindi Shayari हिंदी शायरी लिखा हुआ