आज इतना ही दर्द है कि मैं रो न सकूं
अबके बरसात में इक बूंद भी हासिल न हुआ
इतना pyasi हूं कि पानी को भी छू न सकूं
तेरे रिश्तों ने बुलाया है तुझे घर की तरफ
अब तो शायद तेरे दर पे कभी आ न सकूं
फिर तू ही ले आना कभी फूलों की चादर
तेरी यादों के दरीचे पे मैं अब सो न saku
from : Yaad Shayari