उसके दिल मे थोडी सी जगह माँगी थी मुसाफिर की तरह !
उसने तो तन्हाईयो का पूरा शहर ही मेरे ऩाम कर दिया !!
Pyar Me Nafrat Kaise Ki Jati Hai
Ye Bhi Tumhe Har Lamha Batayenge,
Teri Aankho Me Bhi Khoon Utar Aaye
Tujhe Aisa Ashiqk Bankar Dikhayenge
एक ही जख्म नहीं सारा वजूद ही जख्मी है !
दर्द खुद भी हैरान है के उठूं तो कहां से उठूं !!