अंदर से तो कब के मर चुके है हम,
ए मौत तू भी आजा लोग सबूत मांगते है
जब कोई ख्वाब अधुरा रह जाते हैं !
तब दिल के दर्द आंसु बनकर बाहर आते हैं
उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है
उनसे कह नही पाना हमारी मजबूरी है
वो क्यूँ नही समझते हमारी खामोशी को
क्या प्यार का इज़हार करना जरूरी है
कितना नादान है ये दिल कैसे समझाऊ
तू जिसे खोना नहीं चाहता हो तेरा होना नहीं चाहता