Zakhmi Dil Shayari
Itna Zhar Kafi Hai
उन्हो ने अपने लबो से लगाया और छोड़ दिया !
वे बोले इतना जहर काफी है तेरी मौत के लिए !!
वे बोले इतना जहर काफी है तेरी मौत के लिए !!
Sara Vazood Zakhmi Hai
एक ज़ख्म नही सारा वजूद ही ज़ख्मी है !
दर्द भी हैरान है कि उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!
दर्द भी हैरान है कि उठूँ तो कहाँ से उठूँ !!
Hme Dard Ke Angaro Pe Chalne Doo
हमें दर्द के अंगारों पर चलने दो खामोश यूँ ही !
ज़ख्मों ने ज़ुबाँ खोली तो कितना कुछ कह जाएंगे !!
ज़ख्मों ने ज़ुबाँ खोली तो कितना कुछ कह जाएंगे !!
Na Choda Mushkurane Ke Qabil
ना हम रहे दिल लगाने के क़ाबिल !
ना दिल रहा गम उठाने के क़ाबिल !
लगा उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर !
ना छोड़ा उस ने मुस्कुराने के क़ाबिल !!
ना दिल रहा गम उठाने के क़ाबिल !
लगा उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर !
ना छोड़ा उस ने मुस्कुराने के क़ाबिल !!
Mere Zalhmo Pe Usne Bhi Marham
मेरें जख्मों पर उसने भी मरहम लगाया, ये कहकर !
कि जल्दी से ठीक हो जाओ अभी तोऔर भी जख्म देने बाकि है !!
कि जल्दी से ठीक हो जाओ अभी तोऔर भी जख्म देने बाकि है !!