आज इतना ही धुआं है कि मैं जल न सकूं
आज इतना ही दर्द है कि मैं रो न सकूं
अबके बरसात में इक बूंद भी हासिल न हुआ
इतना Pyasi हूं कि पानी को भी छू न सकूं
तेरे रिश्तों ने बुलाया है तुझे घर की तरफ
अब तो शायद तेरे दर पे कभी आ न सकूं
फिर तू ही ले आना कभी फूलों की चादर
तेरी यादों के दरीचे पे मैं अब सो न Saku
याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना !
यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए हम मिल जायेंगे !!
याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना !
यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए हम मिल जायेंगे !!