पलकों पर रुका है समन्दर खुमार का
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का !!
कुछ बिखरे यादो के बर्तन कुछ टूटे टुकड़े सपनो के
कुछ प्यार मिला बिगानो से कुछ दर्द मिला अपनों से !!
रात भर तारीफ की मैंने तुम्हारी चाँद इनता
जल गया सुनकर सुबह तक सूरज हो गया !!
कुछ मीठा सा नशा था उसकी बातो में
वक्त गुजरता गया और हम आदी हो गए !!