Poetry Tadka

Tareef Shayari

Husn Ki Tareef

मुझको मालूम नहीं हुस़्न की तारीफ,

मेरी नज़रों में हसीन ‘वो’ है, जो तुम जैसा हो,

husn ki tareef

Koi Bura Na Kahe

ख्वाहिश ये बेशक नही कि "तारीफ" हर कोई करे

मगर "कोशिश" ये जरूर है कि कोई बुरा ना कहे.

koi bura na kahe

Wo Kahti Hai

वो कहती हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ 

ए खुदा बस एक दिन आईने को जुबान दे दे

wo kahti hai

Tareef Ki Jaroorat Nahi

तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त

असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता 

tareef ki jaroorat nahi

Kitab Likh Deta

तेरे हुस्न पर तारीफ भरी किताब लिख देता

काश के तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती

kitab likh deta