मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ !
इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है !!
इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान है साहब !
न देती ये साथ अपना तो जाने हम किधर जाते !!
अब तो याद भी उसकी आती नहीं !
कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ !!
तुझपे खुल जाती मेरे रूह की तन्हाई भी !
मेरी आँखों में कभी झांक के देखा होता !!