काश !मैं ऐसी शायरी लिखूँ तेरी याद में !
तेरी शक्ल दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में !!
दीवाने है तेरे नाम के इस बात से इंकार नहीं !
कैसे कहें कि तुमसे प्यार नहीं !
कुछ तो कसूर है आपकी आखों का !
हम अकेले तो गुनहगार नहीं !!
मुझे मालूम नहीं कि मेरी आँखों को तलाश किस की है !
पर तुझे देखूं तो बस मंज़िल का गुमान होता है !!