हम यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे !
की इतने खुबसूरत होठ झूठ कैसे बोलेंगे !!
ये रूह बार बार इस कदर ना रोटी !
काश तुझसे मुहब्बत ना होती !!
सज़ा देनी हमे भी आता है ओं बेखबर !
पर तु तकलीफ से गुज़रे ये हमे मंज़ूर नहीं !!