गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में, उनको ये भी नहीं खबर
कौन चाहेगा सिवा मेरे, उनको उम्र ढल जाने के बाद
Gurur-e-husn Kee Madahoshee Mein,
Unako Ye Bhee Nahin Khabar
Kaun Chaahega Siva Mere,
Unako Umr Dhal Jaane Ke Baad.
हुस्न पर जब भी मस्ती छाती है,तब शायरी पर बहार आती है
पीके महबूब के बदन की शराब, जिंदगी झूम-झूम जाती है