आप नहीं जानते कि कल
आपके लिए क्या लेकर आने वाला है..
किस्मत दोस्त नहीं फिर भी रूठ जाती है,
बुद्धि लोहा नहीं फिर भी जंग लग जाती है,
आत्मसम्मान शरीर नहीं
फिर भी घायल हो जाता है ।
और इंसान मौसम नहीं
फिर भी बदल जाता है।
हर रिश्तों की अलग अलग सीमाएं होती हैं...
लेकिन जब बात आत्मसम्मान की हो तो
वहां हर रिश्ता समाप्त कर देना उचित है!
आत्मसम्मान खोकर जो भी चीज मिले,
वो आपको शोहरत तो दे सकती है,
पर सुकून नहीं।
हम माफ भी कर देते,
पर चोट आत्म-सम्मान को लगी थी।
हैसियत का परिचय तब देंगे
जब बात आत्मसम्मान की होगी...!!
अकेले चलना सीख लो...
जरूरी नहीं जो आज तुम्हारे साथ है
वो कल तुम्हारे साथ होगा...
अपनों के साथ..
गेम ना खेला करो साहब,
गलती से जीत गये
तो बहुत कुछ हार जाओगे..
एक दिन शिकायत तुम्हे
वक़्त और ज़माने से नहीं खुद से होगी की,
जिंदगी सामने थी और तुम दुनिया मैं उलझे रहे..
इरादे इतने कमजोर नहीं होने चाहिए
कि लोगों की बातों में आकर टूट जाएं..
लोग Important हैं पर
Self Respect से ज्यादा नहीं..
इस दुनिया मे खुद की तुलना
दुसरो से कभी मत करो,
अगर तुम कर रहे हो,
तो तुम खुद की Insult कर रहे हो.!
कभी-कभी कुछ रिश्तो से
बाहर आ जाना ही अच्छा होता है,
Ego के लिए नही
Self Respect के लिए।