काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आकर गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर
मर्जी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंने,
और वो कहते हैं कि खुदगर्ज बन गये हो तुम
अपनी मोहब्बत की खुशबू से नूर कर दे !
जुदा ना हो सकू इतना मगरूर कर दे !
मेरे दिल में बस जाए वफा तेरी !
किसी और को ना देखू इतना मजबूर कर दे !!
उनकी चाहत में हम कुछ यु बंधे की वो साथ भी नहीं और हम अकेले भी नहीं !!