कतरा -कतरा भ दिया वतन के वास्ते
एक बूँद तक न बचाई इस तन के वास्ते
यो तो मरते है लाखो लोग रोज़
पर मरना वो है दोस्तों जो जान जाये वतन के वास्ते
चाँद में आग हो तो अम्बर क्या करे
समान ही दुष्ठ हो तो चमन क्या करे
मुझसे मेरे तिरंगे ने रो रोकर कहा
कुर्सियां ही भर्स्ट हो तो मेरा वतन क्या करे
जान तो करदी हमने वतन के नाम पर
शान तो करदी हमने वतन के नाम पर
कुर्बानियों से पाई है हमने आज़ादी
हमारा वतन तो लाखों में एक है
आन भी करदी हमने वतन के नाम पर
सोचता हूँ क्या दे पाऊं गा
जो मैंने पाया है इस देश से
क्या मैं कभी चूका पाऊं गा
जो मैंने पाया है इस देश से
फेलाना है मुझे देश सम्मान की भावना
शायद इस तरह नज़र मिला पाऊं गा देश से