कोई चारा नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नहीं खुदा के सिवा
फिर किसी मोड़ पर मिल जाऊँ तो मुहँ फेर लेना,
पुराना इश्क़ है,फिर उभरा तो कयामत होगी
महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया,
तन्हाई में रोना एक राज बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया,
बस यही जिंदगी जीने का अंदाज बन गया
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
डरते क्यों हो पागल तुह्मारी तो हूँ