zindagi Ke Badal Jane Me Kabhi Kabhi Waqt Lagta Hai ! Kabhi Kabhi Waqt Bdal Jane Me Puri Zindagi Lag Jati Hai !!
परायों में जो अपनों को देख रहे हैं !
अपनों को अपने से दूर फेंक रहे हैं !
उनका अंजाम तो फिर वहीं होगा !
जो दूसरों के घर में रोटी सेंक रहे हैं !!
मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है !
क्यों की जब तुम्हारी याद आती है !
तो घर अच्छा नही लगता !!