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Shayari in Hindi

whi mujhko akele

वही मुझको अकेला कर गयी, 

जो कभी दुआओ में मांगती थी

soya huaa hai

सोया हुआ है मुझमें कोई शख्स आज रात 

लगता है अपने जिस्म से बाहर खड़ा हूँ मैं.

dhaga hi samajh

धागा ही समझ, तू अपनी "मन्नत" का मुझे 

तेरी दुआओ के मुकम्मल होने का दस्तूर हूँ मैं

ajeeb se hain

इस शहर के अंदाज़ भी अजीब से हैं,

गूँगों से कहा जाता है बहरों को पुकारो.

Aik tum

एक तुम भी ना कितनी जल्दी सो जाते हो…

लगता है इश्क को तुम्हारा पता देना पड़ेगा.!!

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