टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता है
क्योकि उसे टुटने का दर्द मालूम होता है
कितना रोई थी मै उसके लिए अब सोचती हूँ क्यों रोई उसके लिए जो मेरा था ही नहीं
यू पलटा मेरी किस्मत का सितारा
उसने भी छोड़ दिया और अपनों ने भी
वो हमसे पूछते है कहा रहती हो आज कल-कास पूछने से पहले अपने दिल में झाक लिए होते
अगर परछाई कद से और बाते औकात से बड़ी हिने लगे तो समझ लेना सूरज डूबने वाला है
मोहब्बत आम चीज नहीं जो हर कोई करले
फहले यकीन करना सीखो फिर मोहब्बत करना
क़भी चुपके से मुस्कुरा कर देखना
दिल पर लगे पहरे हटा कर देख़ना
ये ज़िन्दग़ी तेरी खिलखिला उठेगी
ख़ुद पर कुछ लम्हें लुटा कर देखना
कितने अंदाज से किया "नजर अंदाज" उसने
ऐ खुदा" उसके इस अंदाज को "नज़र" ना लगे
तुं हर जगह खबसुरती तलाश न कर
हर अच्छी चीज मेरे जैसी नहीं होती
क्यों डरें कि ज़िंदगी में क्या होगा
हर वक़्त क्यों सोचें कि बुरा होगा
बढ़ते रहें मंज़िलों की ओर हम
कुछ ना भी मिला तो क्या तज़ुर्बा तो नया होगा
काश कोई हम पर भी इतना
प्यार जताती
पीछे से आकर वो हमारी
आँखों को छुपाती
हम पूछते की कौन हो तुम
वो हंस कर खुद को
हमारी जान बताती
जिन्हें सांसो की महक से इश्क महसूस ना हो
वो गुलाब देने भर से हाल-ए- दिल को क्या समझेंगे
चुभती है दिल व जान को सितारों की रौशनी
ये चाँद डूब जा कोई आज बहुत उदास है
यूँ तो हर शाम उम्मीदों पे गुज़र जाती थी
आज कुच्छ बात है जो शाम पे रोना आया
बेबसी किसे कहते है ये पूछो उस परिंदे से
जिसका पिंजरा रखा भी तो खुले आसमान के तले
काश तुम समझ पाते मेरे अनकहे शब्द
तो यह एहसास स्याही और कागज का मौहताज़ ना होता
दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त तुम्हारी
बस एक बार वो कह तो दे मैं अमानत हूं तुम्हारी
कुछ इस तरह वो मेरी बातो का "जिक्र" करते हैं
लगता है वो आज भी मेरा "फिक्र" करते हैं
किसी को देखने के लिए एक पल काफी
है
उसे पसंद करने के लिए एक दिन
काफी है
उसे महोब्बत करने के लिए एक सालकाफी है पर उस चेहरे को भूलने के लिए येज़िन्दगी भी कम पढ़ जाती है
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जरूरी नहीं हर रिश्ता बेवफाई से खत्म हो
कुछ रिश्ते किसी की खुशी के लिऐ
भी खत्म करने पडते है
उनकी जब मर्जी होती है वो हमसे बात करते है हमारा पागलपन तो देखिये हम पूरा दिन उनकी मर्जी का इंतज़ार करते हैं।।
किसी ने मुझसे पूछा क़िआपका अपना कौन है??मैने हंसते हुए कहाजो किसी और के लिए मुझे नजर अंदाज ना करे
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बिछड़ते वही हैं जो साथ चलते हैंवर्ना आगे-पीछे तो हजारों चलते हैं
इंसान कितना भी खुश किस्मत क्यो ना हो
उसकी कुछ ख्वाहिशे अधूरी रह ही जाती है
सजा देनी हम को भी आती है ओ बेखबर
पर तू तकलीफ़ से गुजरे ये हमें गवारा नही
अगर दे तू अपने हुस्न की तारीफ़ का एक मोका
जो पूरी महफ़िल को तेरा दीवाना न करदूं तो लानत है मेरी शायरी पर
कभी हक़ीक़त में भी बढ़ाया करो ताल्लुक़ हमसे
अब ख़्वाबों की मुलाक़ातों से तसल्ली नहीं होती
कुछ रिश्ते अजीब होते हैं आलम तो देखिए जोड़े भी नहीं जाते तोड़े भी नहीं जाते
ऐतबार की हद पूछते हो तो सुनो उसने सुरज को
चाँद कहा और हम दिनभर धूप में जलते रहे
इश्क़ कर लीजिये बेइंतिहा किताबों से
एक यही हैं जो अपनी बातों से पलटा नहीं करतीं
कुछ और तो नही है मेरे गरीब दामन में
अगर कबूल हो तो अपने होँठोँ की हँसी दे दूँ
आगाज तो होता है अंजाम नही होता
जब मेरी कहानी मे तेरा नाम नही होता
हँस हँस कर जवान दिल के हम क्यों ना चुने टुकड़े
हर शख्स की किस्मत मे ईनाम नही होता
तेरी याद जब आती है तोउसे रोकते नही हैं हम
क्यूँकि जो बगैर दस्तक के आते हैंवो अपने ही होते है
मेरी तो बस छोटी सी ख्वाहिश है
तुम्हारी कोई ख्वाहिश अधूरी ना रहे
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आज कल लोगो के पास बस एक ही काम रह गया है किसी के होकर उनसे दूर चले जाना
तेरी यादो को पसन्दआ गई है मेरी आँखों की नमी
हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी