Khwahish Shayari
Besharm ho gayi hain
बेशर्म हो गयी हैं, ये ख्वाहिशें मेरी, मैं अब बिना किसी बहाने के तुम्हे याद करने लगा हूँ !!
Khwahish na ki
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की
जब जहाँ जो मिला, अपना लिया
जो न मिला, उसकी ख्वाहिश न की
Sath tum ho
ख्वाहिश बस इतनी सी है ,
एक छोटा सा पल हो,
और साथ तुम हो
Abki baar
अब की बार, अजीब सी ख्वाहिश जगी है
कोई मुझे टूट कर चाहे और,मै बेवफा निकलू