Khwahish Shayari
Meri Khwahish Poori Na Hui
ख्वाहिशें तो मेरी छोटी छोटी थी ,
पूरी न हुई तो बड़ी लगने लगीं
Aakhri Khwahish
ख्वाहिशात जब मर जाती है तो बस..... समझौते बाकी रह जाते हैं
कहने को दिल में तो बहुत से बाते हैं, मुख़्तसर लफ़्ज़ों में मेरी आखरी ख्वाहिश हो तुम
सुनो तुम्हे सोच सोच कर थक गया हूँ, अब तुम्हें याद आना चाहता हूँ
हमारे लिए नहीं हामी पर सही, चलो वो आज दिल खोलकर हँसे तो सही
Mere Gunaah
मेरे गुनाह मुझे....
मेरे सामने ही गिनवा दो दोस्तों,......
ख़्वाहिश है की ....
जब कफ़न में छुप जाऊँ तो बुरा न कहना...