Poetry Tadka

Judai Shayari

Judai Ka Gham Kaisa

जब वादा किया है तो निभाएंगे;

सूरज किरण बन कर छत पर आएंगे;

हम हैं तो जुदाई का ग़म कैसा;

तेरी हर सुबह को फूलों से सजाएंगे

judai ka gham kaisa

Apna Khata

हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर, 

हम उसे अपनी खता कहते हैं, 

वो तो साँसों में बसी है मेरे, 

जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं

apna khata

Ishq Mohabbat

इश्क मुहब्बत तो सब करते हैं!

गम-ऐ-जुदाई से सब डरते हैं

हम तो न इश्क करते हैं न मुहब्बत!

हम तो बस आपकी एक मुस्कुराहट पाने के लिए तरसते हैं

ishq mohabbat

Judai Sah Nahi Sakte

हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते 

मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते 

जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो 

जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते

Juda Hokar Bhi

जुदा होकर भी जुदाई नहीं होती इश्क

उम्र कैद है प्यारे इसमें रिहाई नहीं होती

juda hokar bhi