Hindi Poetry
raat subah ka intezaar nahi
रात सुबह का इन्तजार नहीं करती
खुसबू मौसम का इन्तजार नहीं करती
जो ख़ुशी मिले उसका आनन्द लिया करो
क्युकी ज़िन्दगी वक़्त का इन्तजार नहीं करती
tum kaho to bikhar jaaenge
जो तुम बोलो तो बिखर जाएंगे
जो तुम बोलो तो सवर जाएंगे
मगर ये टूटना जुड़ना हमे तकलीफ देता है

ek ajeeb sa manzar
एक अजीब सा मंज़र नजर आता है
हर एक आँख में समुंदर नज़र आता है
कहा रखू शीशे सा दिल अपना
हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है