Poetry Tadka

Hindi Poems

Jawab Dena Padega

ईमानदारी का सर्टिफिकेटअब देना पड़ेगा !

साँसे कितनी ली है जवाब देना पडेगा !

हमने भी पाला था आस्तीनों में सांप !

कितना दूध पिलाया प्रमाण देना पड़ेगा !!

Insaniyat To Aik Hai

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है

ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है

 

ना खाई ठोकरे वो रह गया नाकाम 

ठोकरे खाकर सँभलने वाले अनेक हैं 

 

ना महलों में ख़ामोशी ना फूटपाथ पर 

क़ब्रिस्तान में ख़ामोशी से लेटे अनेक है 

 

बहुत चीख़ती है मेरे दिल की ख़ामोशी तन्हाई में 

ख़ामोशी अच्छी है कहते अनेक है 

 

रोये थे कभी उसकी याद में अकेले बैठकर 

आँखे मेरी लाल है कहते अनेक है 

 

@Insaniyat To Aik Hai Hindi Poem Of The Day

Insaniyat to aik hai

Jab Waqt Karwat Leta Hai

jab Waqt Karwat Leta Hai Na To Baziya Nahi Zindagiyan  palat Jati Hai !!

jab waqt karwat leta hai

Kabhi Kisi Se Pyar Mat Karna

सुनहरे लमहों का व्यापार मत करना !

कभी रिश्तों को तार – तार मत करना !

गम और तनहाई अगर सह ना सको तो

कभी किसी से प्यार मत करना !!

Hindi Kavita On Basant Mausam

वो देखो तो सही -सखि
लौट रहा है वसन्त शायद,
दबे पाओं उसके आने की
मुझको, आई तो है आहट!
पेडों की टहनिया, सूख गई
थी जो, ठूंठ सी खड़ी,निर्वसन
झर गए जिनसे ,फल ,फूल
और पत्ते- फिर से उन्होने
ओढ ली है देखो चुनर धानी!
सखि वो देखो- लौट रहा है
वसन्त शायद--
कोमल सूचिक्कन नवपल्लव
प्रस्फुटित हो करते
नवजीवन संचरण
यहाँ वहां ,जहाँ तहां
हरियाली हरी हरी
चूम सूर्य राश्मियां
खेत हुए पीले सुनेहरी
दुबके ठे जो पंछी
कोटर से आ बाहर
पंखों को तौलते,
नाटखट गिल्हरी
चंचल चपल घूमती
इधर उधर
लौट रहा है सखि
फिरसे वसन्त शायद
छांट गया है कोहरा,
सिमत गई धुंध की
कोमल धवल चादर
देखो तो सही सखि
लौट रहा है वसन्त शायद
चटकीले रंगों से फूलों ने
रंग दी धरा नीलवरण
नभ ,देखो हो रहा बावरा
वीणा की धुन मधुर
चहुन ओर व्याप्ति
तरंगित ,युवा मन ,उल्लसित
प्रिय से मिलने की प्रतीक्षा
में अन्वरत ,चंचल हैं नयन
धडकन में स्पन्दन है,
पाओं में थिरकन, सुरभित पवन
जगाती देह में स्फुरण ,देखो सखि
लौट आया है वसन्त निश्चित
आओ मनाये मदनोत्सव !