पलकों की हद तोड़ के दामन पे आ गिरा !
एक आंसू मेरे सबर की तौहीन कर गया !!
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा.....
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा
बुझ गई आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा
जलती बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा एक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहां तन्हा