Poetry Tadka

Hindi Kavita

Desh Bhakti Kavita

देखो बच्चों यह झंडा प्यारा तीनों रंगों का मेल सारा।

रहे सदा यह झंडा ऊंचा  आकाश को रहे यह छूता।

सदा करो तुम इसका मान कभी ना करना इसका अपना अपमान।

झंडा ही है देश की शान बना रहे है यह सदा महान।

Desh Bhakti Kavita

Love Kavita

मैं अपना इश्क़ अपना इश्क़  1990 वाला चाहता हूँ

टेस्ट कॉल से दूर ख़तों पर रहना चाहता हूँ

ये बाबू शोना छोड़के उसे प्रेमिका कहना चाहता हूँ

जब मिले हम अचानक से तो उसकी खुशी देखना चाहता हूँ

जब आये सुखाने कपड़े छत पर तो चोरी चोरी मिलना चाहता हूँ

जो पापा और भाई के आने से डरती हो ऐसी मेहबूबा चाहता हूँ

हाँ मैं आज भी मोहब्बत  पुराने जमाने वाला चाहता हूँ  

Love kavita

Life Kavita

राह न अपनी छोड़ो तुम फूल बिछे हों या कांटे हों  चाहे जो विपदायें आयें  मुख को जरा न मोड़ो तुम  साथ रहें या रहें न साथी  हिम्मत मगर न छोड़ णुम  नहीं कृपा की भिक्छा मांगो  कर न दीन बन जोड़ो तुम  बस ईश्वर पर रखो भरोसा  पाठ प्रेम का पढ़े चलो  जब तक जान बनी हो तन में  तब तक आगे बढ़े चलो

Life Kavita

Kavita Kosh

तुझे क्या पता  तेरे इन्तजार में हमने हर लम्हां कैसे गुजारा हैं एक दो बार नही दिन में हजारों दफ़ा  तेरी तस्वीर को निहारा हैं 

Kavita Kosh

Maa Par Kavita

जरा सी चोट लगे तो आंसू बहा देती है  सुकून भरी गोद में हमको सुला देती है  हम करते हैं खता तो चुटकी में भुला देती है  होते हैं खफा हम तो दुनिया को भुला देती है  मत गुस्ताखी करना उस माँ से जैद  जो अपने बच्चों की चाह में अपने आप को भुला देती है 

Maa Par Kavita

Sath Dena Hai To

~~~~~साथ देना तो था~~~~~ थामने हम बढे, हाथ देना तो था तुम मेरे हो,मेरा साथ देना तो था हौसलों पर मेरे, यूँ गिरी ग़ाज़ क्यों गीत गुमसुम रहे,खोये अलफ़ाज़ क्यों साधने हम चले, आस देना तो था तुम मेरे हो, मेरा साथ देना तो था कोई राहत नहीं, कोई चाहत नहीं है कहाँ वो ख़ुशी,कोई आहट नहीं बेबसी को मेरी, मात देना तो था तुम मेरे हो, मेरा साथ देना तो था ख़ाब खो जाएंगे, ये तो सोचा न था किस तरह ये कहें, दर्द होता न था सूनी आँखें रहीं, ख़ाब देना तो था तुम मेरे हो, मेरा साथ देना तो था थामने हम बढे, हाथ देना तो था तुम मेरे हो,मेरा साथ देना तो था

Ye Zindagi Bhi Ajeeb Hai

यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं

हर मोड़ पर अपना रंग बदल देती हैं

कोई अपने बेगाने हो जाते हैं

तो कोई पराया अपना हो जाता हैं

यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं  

हर मोड़ पर कुछ नया सिखाती हैं

कभी खुशिया भर -भर के आती है 

तो कभी-कभी दुःख के 

बादल हर रोज बरसते हैं

यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं

हर मोड़ पर एक नया मुकाम बनाती हैं

इस ज़िन्दगी से हर रोज 

किसी न किसी को 

शिकायत होती है तो कोई इसकी 

प्रशंसा करता हैं

यें ज़िन्दगी कभी खामोश रहती हैं

और कभी-कभी बिन कहे 

कुछ कह जाती हैं

यें ज़िन्दगी दुश्मनों के साथ रहकर 

अपनों को धोका दे जाती हैं

यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं  

हर मोड़ पर एक नया रंग दे जाती हैं

कविता कोश

 

Aahista Chal Ae Zindagi

आहिस्ता चल जिंदगीअभी 

कई कर्ज चुकाना बाकी है 

कुछ दर्द मिटाना बाकी है 

कुछ फर्ज निभाना बाकी है 

रफ़्तार में तेरे चलने से 

कुछ रूठ गए कुछ छूट गए 

रूठों को मनाना बाकी है 

रोतों को हँसाना बाकी है 

कुछ रिश्ते बनकर टूट गए 

कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए 

उन टूटे -छूटे रिश्तों के 

जख्मों को मिटाना बाकी है 

कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं 

कुछ काम भी और जरूरी हैं 

जीवन की उलझ पहेली को 

पूरा सुलझाना बाकी है 

जब साँसों को थम जाना है 

फिर क्या खोना क्या पाना है 

पर मन के जिद्दी बच्चे को 

यह बात बताना बाकी है 

आहिस्ता चल जिंदगी अभी 

कई कर्ज चुकाना बाकी है 

कुछ दर्द मिटाना बाकी है 

कुछ फर्ज निभाना बाकी है

---------धन्यवाद --------

कविता कोश

Dastan Apni Kavita Kosh

मैं भी लिखूँगाी किसी रोज़ दास्तान अपनी

मैं भी किसी रोज़ तुझपे इक ग़ज़ल लिखूँगी

 

लिखूँगा कोई शख्स तो शहजादा-सा लिखूँगी

ग़र गुलों का ज़िक्र आया तो कमल लिखूँगी

 

बात ग़र इश्क़ की होगी तो बे-इन्तहा है तू

ज़िक्र ग़र तारीख का होगा तो अज़ल लिखूँगी

 

मैं लिखूँगी तेरी रातों की मासूम-सी नींद

और अपनी बेचैन करवटों की नक़ल लिखूँगी

 

हाँ ज़रा मुश्किल है तुझे लफ़्ज़ों में बयां करना

फिर भी यकीन मानो जान मुकम्मल तुझे ही अपनी जान लिखुगी

 

ये जानती हूँ मै कि तुझे झूठ से नफरत है

इसलिए जो भी लिखूँगी सब असल लिखूँगी

कविता कोश

Jis Roz

जिस रोज पैदा होते हैं हम 

उस रोज बहुत खुशियां मनाई जाती है

बचपन से लेकर बुढ़ापे तक 

सपनो की एक दुनिया सजाई जाती है

खुशी और ग़म की आँखों से 

ज़िन्दगी की तस्वीर दिखाई जाती है

जिस रोज मरते हैं हम 

उस रोज हमारी खूबियां बताई जाती है ।

कविता कोश

Mere Intezar Me Kavita Kosh

वो दिन भी आयेगा मेरे इंतज़ार में 

जब तुम खडी होगी नज़रें बार बार 

रास्ते पर उठ रही होंगी घड़ी की सुईयां 

अटकी हुयी लगेंगी दिल की धडकनें 

बढ़ रही होंगी चेहरे पर पसीना 

माथे पर सलवटें होंगी तुम्हें उन हालात का 

अहसास होने लगेगा तुम्हारे इंतज़ार में 

जो मैंने सहा होगा प्रीत से मिलन की आस 

कुछ ऐसी ही होती है जिसने सही 

उसे ही महसूस होती है

कविता कोश

Kya Hoga Kavita Kosh

नज़र फ़रेब-ए-कज़ा खा गई तो क्या होगा;

हयात मौत से टकरा गई तो क्या होगा;

नई सहर के बहुत लोग मुंतज़िर हैं मगर;

नई सहर भी कजला गई तो क्या होगा;

न रहनुमाओं की मजलिस में ले चलो मुझको;

मैं बे-अदब हूँ हँसी आ गई तो क्या होगा;

ग़म-ए-हयात से बेशक़ है ख़ुदकुशी आसाँ;

मगर जो मौत भी शर्मा गई तो क्या होगा;

शबाब-ए-लाला-ओ-गुल को पुकारनेवालों;

ख़िज़ाँ-सिरिश्त बहार आ गई तो क्या होगा;

ख़ुशी छीनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर;

जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा।

कविता कोश

 

Ek Shabd Hai

एक शब्द है ( मोहब्बत )

इसे कर के देखो तुम तड़प ना जाओ तो कहना

एक शब्द है ( मुकद्दर )

इससे लड़कर देखो तुम हार ना जाओ तो कहना

एक शब्द है ( वफा )

जमाने में नहीं मिलती कहीं ढूंढ पाओ तो कहना

एक शब्द है ( आँसू )

दिल में छुपा कर रखो तुम्हारी आँखों से ना निकल जाए तो कहना

एक शब्द है ( जुदाई )

इसे सह कर तो देखो तुम टूट कर बिखर ना जाओ तो कहना

एक शब्द है ( ईश्वर )

इसे पुकार कर तो देखो सब कुछ पा ना लो तो कहना

कविता कोश

Tera Dedar Karoo

तू सामने रहे मेरे मै तेरा दीदार करू

सब कुछ भुला के सिर्फ तुझे ही प्यार करू

तेरी जुल्फों के साये मे जिन्दगी मिली

तेरी आँखों मे डूब केख़ुशी मिली

तुझ से भी बढ़ कर तुझ पे ऐतबार करू

तुम न थे दिल मे कोई अरमान न था

इस नाकाम जिन्दगी मेकही मुकाम न था

सफ़र के हर मोड़ पेतेरा इन्तेजार करू

वादा करो मुझ सेकभी दूर न जाओगे

मेरे दिल को ख़ुशी देकर फिर न रुलाओगे

मेरे सब कुछ तुम हो तुझ पे जान निसार करू

कविता कोश

Kavita Kosh In Hindi Smundar Sare

समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता

हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता

किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस ख़ुदा ही जानता है

दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता

थी ख़ामोशी हमारी फितरत में तभी तो बरसो निभ गयी लोगो से

अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता

हम तो अच्छे थे पर लोगो की नज़र में सदा बुरे ही रहे

कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता

कविता कोश

Kavita Kosh

बेटी बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में 

बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में

क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी

 कहते है आज नहीं तो कल तू पराई होगी

देके जनम पाल-पोसकर जिसने हमें बड़ा किया

और वक़्त आया तो उन्ही हाथो ने हमें विदा किया

टूट के बिखर जाती हे हमारी ज़िन्दगी वही

पर फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ज़रूरी तो नहीं

क्यों रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है

क्या बस यही बेटियो का नसीब होता है

कविता कोश

Kavita Kosh Wo Bhi Kya Zamana Tha

एक बचपन का जमाना था

जिसमें खुशियों का खजाना था

चाहत चाँद को पाने की थी

पर दिल तितली का दीवाना था

 

खबर ना थी कुछ सुबह की

ना शाम का ठिकाना था

थक हार के आना स्कूल से

पर खेलने भी जाना था

 

परियों का फसाना था

बारिश में कागज की कश्ती थी

हर मौसम सुहाना था

हर खेल में साथी थे  

हर रिश्ता निभाना था

 

गम की जुबां ना होती थी

ना जख्मों का पैमाना था

रोने की वजह ना थी

ना हँसने का बहाना था

 

क्यूँ हो गये हम इतने बड़े 

इससे अच्छा तो वो 

"बचपन का जमाना था

कविता कोश

kavita kosh wo bhi kya zamana tha

Rahat Indori Kavita Kosh

मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ

सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ

कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में

और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ

मैने देखा है ज़माने को शराबें पी कर

दम निकल जाये अगर होश में आकर देखूँ

दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है

सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ

तेरे बारे में सुना ये है के तू सूरज है

मैं ज़रा देर तेरे साये में आ कर देखूँ

याद आता है के पहले भी कई बार यूं ही

मैने सोचा था के मैं तुझको भुला कर देखूँ

कविता कोश

Poem Ocean

दर्द-ए-बुज़ुर्ग बाप  

दो दिन से घर पर पूछने कोई नहीं आया 

बीमार तूने खाना भी खाया नहीं खाया 

भेजी थी ख़बर बेटे कोहैं आखरी साँसे

बीबी की कैद से वो निकल ही नहीं पाया 

देखी थी खत की राहमुकद्दर में कहाँ खत 

शायद है व्यस्त होगातो लिख नहीं पाया 

मिलता जो हाथ से लिक्खा कोई भी पर्चा 

मैं दिल से लगा लेता मगर हो नहीं पाया  

करने को प्यार उमड़ रहा सीने में मेरे 

अहसास उसको इसका कभी हो नहीं पाया 

जज़्बात मरते दम भी आँखों में बसे हैं 

आँखों का नूर आँखें मिलाने नहीं आया

कविता कोश

Mai Rotha Tu Rothi Fir Mnayga Koun

मैं रूठा तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन

आज दरार है कल खाई होगी फिर भरेगा कौन  

मैं चुप तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन 

हर छोटी मोटी बात को लगा लोगे दिल से 

तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन 

दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर 

सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन  

ना मैं राजी ना तुम राजी 

फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन 

डूब जाएगा यादों में दिल कभी 

तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन  

एक अहम् मेरे एक तेरे भीतर भी 

इस अहम् को फिर हराएगा कौन  

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए 

फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन  

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने भी आँखें 

तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन 

कविता कोश

Tera Intzaar Aaj Bhi Hai

तुमसे हुई पहली मुलाकात याद हैचलाया था जो कातील नजरों से दिल पे तीर वो घाव के निशा दिल पे आज भी है हालाँकि फिर से एक मिलन की जरूरत तूजसे आज भी है धड़काया तुमने कभी दिल को मेरे अपनी मदहोस अदाओ से उसी दिल को तेरे लौट के आने की उम्मीद आज भी हैहालाँकि उसी धड़कनो पे लिखा तेरा नाम आज भी है भर के बाहो मे मुझे छुआ था कभी जो तुमने प्यार से होठो को मेरे इन गालो पे तेरे लबो के निशा आज भी है हालाँकि मेरे लबो को फिर एक बार तेरे होंठों कि प्यास आज भी हैतुझे मुझसे मोहब्बत थी या नहीं इस बात कि उलझन दिल मे आज भी है हालाँकि मुझे तुमसे मोहब्बत कल से भी बेहद ज्यादा आज भी हैचाहे कितने भी तूफा क्यों ना आ के चल बसे सीने पे मेरे पर दिल मे तेरे कदमों के निशा आज भी है हालाँकि मुझे उसी कदमों की जरूरत फिर से एक बार आज भी हैतू मुझे चाहे या भूल जाएँ पर तू दिल की चाहत आज भी हे चाहे कितना भी जमाना खीलाफ क्यों ना हो मेरे हालाँकि मुझे तेरी जरूरत आज भी हैचाह के भी तुझे हम भूल ना पाएँगे तेरीयादों मे रो रो के एक दिन मर जाएँगे खोने को तो क्या कुछ नहीं खोया इन आँखों ने पर इन आँखों में जिंदा तेरा चेहरा आज भी हे हालाँकि उसी आंखों को इंतजार तेरा आज भी है    कविता कोश

Tera intzaar aaj bhi hai

Mujhe Gale Se Lgalo Bhut Udas Hoon Mai

१: मुझे गले से लगा लो बहुत उदास हूँ मै 

गम-ऐ -जहाँ से से छुपा लो बहुत उदास हूँ मै

नज़र में तीर से चुभते अब नज़रो से 

मै थक गई सभी टूटते शहारो से 

अब और बोझ ना डालो बहुत उदास हूँ मै 

२: बहुत सही गम -ऐ -दुनिया मगर मगर उदास न हो 

करीब है शब-ऐ -गम की सहर उदास न हो 

सितम के हाथ की तलवारटूट जाए गी

ये ऊँच नीच की दीवार टूट जाए गी 

तुझे कसम है मेरी हमसफ़र उदास ना हो 

३: ना जाने कब ये तरीका ये तौर बदले गा 

सितम का गम का मुसीबत का दौर बदले गा 

मुझे  जहाँ  से उठा लो बहुत उदास हूँ मैं

कविता कोश

mujhe gale se lgalo bhut udas hoon mai

Tum Ko Dekha To Khayal Aaya

तुमको देखा तो ये ख़याल आया

ज़िन्दगी धूप तुम घना साया

आज फ़िर दिल ने इक तमन्ना की

आज फ़िर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगेतो सोचेंगे

हमने क्या खोया हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते

वक़्त ने ऐसा गीत क्यू गाया

तुमको देखा तो ये ख़याल आया

कविता कोश

Hans Ke Bol Diya Karo

कुछ हँस के बोल दिया करो

कुछ हँस के टाल दिया करो

यूँ तो बहुत  परेशानियां है 

तुमको भी मुझको भी

मगर कुछ फैंसले 

वक्त पे डाल दिया करो

न जाने कल कोई 

हंसाने वाला मिले न मिले

इसलिये आज ही 

हसरत निकाल लिया करो

कविता कोश

Hosh Me Aana Bhool Gae

देख के तुमको होश में आना भूल गये

याद रहे तुम ओर जमाना भूल गये

जब सामने तुम आ जाते हो

क्या जानिये क्या हो जाता है

कुछ मिल जाता हैकुछ खो जाता है

क्या जानिये क्या हो जाता है

कविता कोश

Zindagi Ka Har Khwab Pura Nahi Hota

जिंदगी का हर ख्वाब पूरा नहीं होता

होता अगर तो शख्स अधूरा नहीं होता

ख्वाहिशों की प्यास कभी बुझ नहीं पाती

कभी रेतों में समंदर का बसेरा नहीं होता

आंखों में जल रही है जबसे तेरी शमा

मेरे रूह की गलियों में अंधेरा नहीं होता

अश्कों से भीगो देता है हर रात जमीं को

आसमा रोता ही रहता जो सबेरा नहीं होता  

कविता कोश

 

 

Ladki Nahi Pri Hai Woh

पूरी दुनिया जब बुरा-भला कह रही थी मुझे

तो कहा था उसने मुझे

जब दुनिया ने तोड़-मरोड़ कर रख दिया था मुझे

तो उसने सहारा देकर फिर से 

आगे बढ़ना सिखाया था मुझे

न जाने क्या देखा था उस पगली ने मुझमें 

जब परछाई ने भी साथ छोड़ दिया था मेरा 

वो मेरे साथ पल-पल खड़ी थी न जाने क्यों 

मैं पूरी दुनिया से अलग लगा था उसे

जब सबकुछ हार गया था मैं 

तो वो जीत बनकर साथ खड़ी थी मेरे

और देखते-देखते मेरे पूरे अस्तित्व में हीं समा गई वो

मैं उसका बन गया था और मेरी बन गई थी वो

मुझे प्यार करते-करते खुद प्यार बन गई थी वो

तभी तो कहता हूँ लड़की नहीं परी है वो

अब उसे बहुत प्यार करता हूँ मैं 

वो जान है मेरी ये इकरार करता हूँ मैं

तभी तो कहता हूँ लड़की नहीं परी है वो

कविता कोश

 

ladki nahi pri hai woh

Ye Manzar Kyu Hai Kavita Kosh

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है

ज़ख़्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है

जब हक़ीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है

फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यूँ है

अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी

अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है

ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब 

वर्ना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है

आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है

तू अगर मुझसे ख़फ़ा है तो छुपाता क्यूँ है

ग़ैर लगता है न अपनों की तरह मिलता है

तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यूँ है

वक़्त के साथ ख़यालात बदल जाते हैं

ये हक़ीक़त है मगर मुझको सुनाता क्यूँ है

एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं

ऐसी राहों पे चराग़ों को जलाता क्यूँ है

कविता कोश

Ab Verano Me Kavita Kosh

रेंग रहे हैं साये अब वीराने में

धूप उतर आई कैसे तहख़ाने में

जाने कब तक गहराई में डूबूँगा

तैर रहा है अक्स कोई पैमाने में

उस मोती को दरिया में फेंक आया हूँ

मैं ने सब कुछ खोया जिसको पाने में

हम प्यासे हैं ख़ुद अपनी कोताही से

देर लगाई हम ने हाथ बढ़ाने में

क्या अपना हक़ है हमको मालूम नहीं

उम्र गुज़ारी हम ने फ़र्ज़ निभाने में

वो मुझ को आवारा कहकर हँसते हैं

मैं भटका हूँ जिनको राह पे लाने में

कब समझेगा मेरे दिल का चारागर

वक़्त लगेगा ज़ख्मों को भर जाने में

हँस कर कोई ज़ह्र नहीं पीता आलम

किस को अच्छा लगता है मर जाने में  

कविता कोश

Ab Kisi Ka Koi Kavita Kosh

हुस्न जब इश्क़ से मन्सूब नहीं होता है

कोई तालिब कोई मतलूब नहीं होता है

अब तो पहली सी वह तहज़ीब की क़दरें न रहीं

अब किसी से कोई मरऊब नहीं होता है

अब गरज़ चारों तरफ पाँव पसारे है खड़ी

अब किसी का कोई महबूब नहीं होता है

कितने ईसा हैं मगर अम्न-व-मुहब्बत के लिये

अब कहीं भी कोई मस्लूब नहीं होता है

पहले खा लेता है वह दिल से लड़ाई में शिकस्त

वरना यूँ ही कोई मजज़ूब नहीं होता है

कविता कोश

 

Daman Me Ky Kuch Hai Kavita Kosh

सुनी सुनाई बात नहीं है अपने ऊपर बीती है

फूल निकलते है शोलों से चाहत आग लगाए तो

झूठ है सब तारीख़ हमेशा अपने को दोहराती है

अच्छा मेरा ख्व़ाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो

देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो

आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो

शफ़क़ धनुक महताब घटाएँ तारे नग़मे बिजली फूल

उस दामन में क्या कुछ है वो दामन हाथ में आए तो

कविता कोश

Wah Re Jamane Teri Had Ho Gayi

कविता माँ पर माँ पर हिंदी कविता

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई

बीवी के आगे माँ रद्द हो गई

बड़ी मेहनत से जिसने पाला

आज वो मोहताज हो गई

और कल की छोकरी 

तेरी सरताज हो गई

बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई

पेट पर सुलाने वाली

पैरों में सो रही

बीवी के लिए लिम्का

माँ पानी को रो रही

सुनता नहीं कोई वो आवाज देते सो गई

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई

माँ मॉजती बर्तनवो सजती संवरती है

अभी निपटी ना बुढ़िया तू उस पर बरसती है

अरे दुनिया को आई मौततेरी कहाँ गुम हो गई

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई

अरे जिसकी कोख में पला

अब उसकी छाया बुरी लगती

बैठ होण्डा पे महबूबा

कन्धे पर हाथ जो रखती

वो यादें अतीत की

वो मोहब्बतें माँ की सब रद्द हो गई

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई

बेबस हुई माँ अब

दिए टुकड़ो पर पलती है

अतीत को याद कर

तेरा प्यार पाने को मचलती है

मुसीबत जिसने उठाई वो खुद मुसीबत हो गई

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई

 ___ याद रखना ________

मां तो जन्नत का फूल है

प्यार करना उसका उसूल है

दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है

मां की हर दुआ कबूल है

मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है

मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है

कविता कोश

Wah Re Jamane Teri Had Ho Gayi

Wo Mila Nahi Kavita Kosh

वो नही मिला तो मलाल क्या

जो गुज़र गया सो गुज़र गया

उसे याद करके ना दिल दुखा

जो गुज़र गया सो गुज़र गया

ना गिला किया ना ख़फ़ा हुए

युँ ही रास्ते में जुदा हुए

ना तू बेवफ़ा ना मैं बेवफ़ा

जो गुज़र गया सो गुज़र गया

तुझे एतबार-ओ-यकीं नहीं

नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं

ना मलाल कर मेरे साथ आ

जो गुज़र गया सो गुज़र गया

वो वफ़ाएँ थीं के जफ़ाएँ थीं

ये ना सोच किस की ख़ताएँ थीं

वो तेरा हैं उसको गले लगा  

जो गुज़र गया सो गुज़र गया

कविता कोश

wo mila nahi kavita kosh

Kavita Kosh Hindi Language

तू शर्मीली सिमटी सीहै शोख़ तितली सी तू

रेशम की नरमी सीजाड़ो की गर्मी सी तू

रातो की काजल सीतारों के आँचल सी तू

तू बादल के बालो सीदिन के उजालो सी तू

दिलकश खयालो सीरंगी ख्वाबो सी तू

तेरे सवालो सीमेरे जवाबो सी तू

ओस में जैसे नहाईंलबो पे खिली है मुस्कान

तू हैं फ़रिश्तों के जैसीरूह की है जैसे तू जान

तुझ को जो पा जाऊंहोश में ना मैं आऊ

तू झिलमिल बहारो सीरिमझिम फ़ुहारों सी तू

अनजाने यादो सीपहचाने वादो सी तू

वन की गुफ़ाओं सीसातो शमाओं सी तू

तू शर्मीली सिमटी सीहै शोख़ तितली सी तू

रेशम की नरमी सीजाड़ो की गर्मी सी तू  

कविता कोश

kavita kosh hindi language

Hindi Prem Kavita

वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखाकर रोयी

मैं किसी और की हूँबस इतना बता कर रोयीं

शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे

वो मुझे पास अपने बिठाकर रोयीं

दुःख का एहसास दिला कर रोयीं

कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे

और आज ये बात दोहरा कर रोयीं

मुझ से ज्यादा बिछुड़ने का गम था उसे

वक्त-ए-रुक्शांतवो मुझे सीने से लगा कर रोयीं

मैं बेकसूर हूँ कुदरत का फैसला हो ये

लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोयीं

मुझ पर दुःख का पहाड़ एक और टुटा

जब वो मेरे सामने मेरे ख़त जलाकर रोयीं

मेरी नफरत और अदावत पिघल गयी एक पल में

वो बेवफा है तो क्यों मुझे रुलाकर रोयीं ?

सब गिले-शिकवे मेरे एक पल में बदल गए

झील सी आँखों में जब आंसू सजाकर रोयीं

कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों

भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोयीं

कविता कोश

hindi prem kavita

Kavita Kosh

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं

कुछ इक पल के कुछ दो पल के

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं

कुछ परों से हल्के होते हैं

बरसों के तले चलते चलते

भारी भरकम हो जाते हैं

कुछ भारी भरकम बर्फ़ के से

बर्सों के तले गलते गलते

हलके फ़ुल्के हो जाते हैं

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं

नाम होते हैं कुछ रिश्तों के

कुछ रिश्ते नाम के होते हैं

रिश्ता वो अगर मर भी जाए तो

बस नाम से जीना होता है

बस नाम से जीना होता है

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं

कविता कोश

Hindi Ghazal Kosh

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे

मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे

रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर

ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में

ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे

सुना है उसको मोहब्बत दुआएँ देती है

जो दिल पे चोट तो खाये मगर गिला न करे

ज़माना देख चुका है परख चुका है उसे

'क़तील' जान से जाये पर इल्तिजा न करे

कविता कोश

Kavita Kosh Ghazal

कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे

तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे

जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे

जान बाकी है मगर साँस रूकी हो जैसे

जानता हूँ आपको सहारे की ज़रूरत नहीं

मैं तो सिर्फ़ साथ देने आया हूँ

हर मुलाक़ात पे महसूस यही होता है

मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे

राह चलते हुए अक्सर ये गुमां होता है

वो नज़र छुप के मुझे देख रही हो जैसे

एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़र

ज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे

इस तरह पहरों तुझे सोचता रहता हूँ मैं

मेरी हर साँस तेरे नाम लिखी हो जैसे

कविता कोश

Kavita Kosh In Hindi

आँखें ताज़ा मंज़रों में खो तो जाएंगी मगर

दिल पुराने मौसमों को ढूंढ़ता रह जायेगा

सुनते हैं के मिल जाती है हर चीज़ दुआ से

इक रोज़ तुम्हें माँग के देखेंगे ख़ुदा से

दुनिया भी मिली है ग़म-ए-दुनिया भी मिला है

वो क्यूँ नहीं मिलता जिसे माँगा था ख़ुदा से

ऐ दिल तू उन्हें देख के कुछ ऐसे तड़पना

आ जाये हँसी उनको जो बैठे हैं ख़फ़ा से

जब कुछ ना मिला हाथ दुआओं को उठा कर

फिर हाथ उठाने ही पड़े हमको दुआ से

आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं

मर जाए की जी जाए कोई उनकी बला से

तुम सामने बैठे हो तो है कैफ़ की बारिश

वो दिन भी थे जब आग बरसती थी घटा से

कविता कोश