वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं,
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं,
ऐसी आदत हो गयी है अब तो उस हरजाई की,
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं
कुछ किस्से दिल में कुछ कागजों पर आबाद रहे,
बताओ कैसे भूलें उसे जो हर साँस में याद रहे
लोग ग़लतियां कर के बदनामी से बच गये,
हम चंद ख्वाब देख के भी गुनहगार हो गये