इशारों में ही सही पर उनसे बात होनी चाहिए
इक रोज उनसे, मुलाकात भी होनी चाहिए
चलो कुछ देर बैठें दोस्तों में ग़म जरूरी हैं,
ग़ज़ल के वास्ते थोड़ा मसाला ले लिया जाए
न जाने कैसा मौसम हो दुशाला ले लिया जाए,
उजाला मिल रहा है तो उजाला ले लिया जाए
अब अँधेरा मुस्तक़िल रहता है इस देहलीज़ पर,
जो हमारी मुन्तज़िर रहती थी आँखें बुझ गए
तुम अपने चाहने वालों की बात मत सुनियो ..
तुम्हारे चाहने वाले दिवाने हो गए
रास्ते वही होंगे और नज़ारे वही होंगे,
पर हमसफ़र अब हम तुम्हारे नहीं होंगे
बदले तो नहीं हैं वो... दिल-ओ-जान के करीने,
आँखों की जलन, दिल की चुभन अब भी वही है