जिन्हें सलीका है तहजीब-ए-गम समझाने का !
उन्ही के रोने में आंसू नज़र नहीं आते !
खुशी की आँख में आंसू की भी जगह रखना !
बुरे ज़माने कभी पूछ कर नहीं आ !!
हर मुलाकात पे महसूस यही होता है !
मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे !
राह चलते हुवे अक्सर यह गुमान होता है !
वो नज़र चुपके मुझे देख रही हो जैसे !!