Zindagi Badalne Ke Liye Ladna Padta Hai
Aur Aasan Karne Ke Liye Samajhna Padta Hai
मैंने हर शाम यही सोचा है
उम्र गुजरी है की दिन गुजरा है
दिल न उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम तो ही तो है
भीगी हुयी शाम की दहलीज़ पर बैठे
हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतज़ार उसका मगर कुछ सोच कर करते रहे