Poetry Tadka

Dil Ko Chu Jane Wali Shayari

Meri Mohabbat

जुबाँ से चुप तो निगाहों से बोलता क्यूँ है

मेरे वजूद को इतना फिर टटोलता क्यूँ है

मोहब्बत आप ही देती है एक नशा गहरा

खामोश हसरतों में तू इसे घोलता क्यूँ है

छू के जब से गये आप हैं इस दरिया को

ये पूरा पानी हवा से भी यूँ खौलता क्यूँ है

हमारे बीच में क्या है रहने भी दे इसको

दिल के राज़ ज़माने में तू खोलता क्यूँ है

अगर यक़ीन है तुम्हे मेरी मोहब्बत पर

प्यार को तराज़ू पर "मन" तोलता क्यूँ है

Pareshan Hoon Main

अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको

मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूं मैं