मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए
जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए
और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये
खुशनसीब होते हैं वो लोग
जो इस देश पर कुर्बान होते हैं
जान देके भी वो लोग अमर हो जाते हैं
करते हैं सलाम उन देश प्रेमियों को
जिनके कारन इस तिरंगे का मान होता है
आओ झुक कर करें सलाम उन्हें
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है
कितने खुशनसीब हैं वो लोग
जिनका खून वतन के काम आता हैं
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे
बची हो जो एक बूंद भी लहू की
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे