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Desh Bhakti Shayari

watan ki ulfat

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

watan ki ulfat

Chale Aao

चले आओ मेरे परिंदों लौट कर अपने आसमान में,

देश की मिटटी से खेलो, दूर-दराज़ में क्या रक्खा है

Chale Aao

mere chat pe ek tiranga rehne do

खूब बहती है, अमन की गंगा बहने दो…

मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो…

लाल हरे रंग में ना बाटो हमको…

मेरे छत पर एक तिरंगा रहने दो

mere chat pe ek tiranga rehne do

tirange se khubsurat koi

ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई ,

मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता ,

नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई ,

मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता

tirange se khubsurat koi

tiranga kfan chahiye

मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए

बस अमन से भरा यह वतन चाहिए

जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए

और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये

tiranga kfan chahiye
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