सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
चले आओ मेरे परिंदों लौट कर अपने आसमान में,
देश की मिटटी से खेलो, दूर-दराज़ में क्या रक्खा है
खूब बहती है, अमन की गंगा बहने दो…
मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो…
लाल हरे रंग में ना बाटो हमको…
मेरे छत पर एक तिरंगा रहने दो