मेरी सरगोशियां जब खामोशियाँ बन जाएं
मेरी तनहाइयाँ तेरी मजबूरिया न बन जाएं
हवा में नमीं के बाद भी मैदान में उछाल है,
खस्ताहाल है खेल , पर उनका कमाल है
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रखा है
ये सुना है कि हिज्र में मेरे आपने मुस्कुराना छोड़ दिया
ये तो ऐसा है जैसे मछली ने सर्दियों में नहाना छोड़ दिया