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udne de parindo ko
उड़ने दे इन परिंदो को आजाद फिजा में ग़ालिब जो तेरे आपने होंगे वो लौट आएंगे
wo guzar gaya
मैं ठहर गई वो गुज़र गया,
वो क्या गुज़रा सब ठहर गया
tum dil me nahi
तुम दिल नही रूह मे उतर गये हो जनाब
तुम्हे भुलने मे दिन नही ज़माने लगेगे.
bas yahi
आंखों में ठहर गया थोड़ा-सा पानी.
बस यही दी थी उसने मुझे आखिरी निशानी
mujhse kahne
कास के वो लोट आये मुझसे ये कहने
की तुम कोन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले