नींद मे भी बहने लगते है हमारे आँख़ों से आंसू !
जब कभी तुम ख़्वाबों मे मेरा हाथ छोंड़ देते हो !!
आया नहीं था कभी मेरी आँख से एक अश्क भी ........
मोहब्बत क्या हुई अश्कों का सैलाब आ गया ...!!
अश्क बन कर आँखों से बहते हैं !
बहती आँखों से उनका दीदार करते हैं !
माना की ज़िंदगी मे उन्हे पा नही सकते !
फिर भी हम उनसे बहुत प्यार करते हैं !!