जरा सी चोट लगे तो आंसू बहा देती है
सुकून भरी गोद में हमको सुला देती है
हम करते हैं खता तो चुटकी में भुला देती है
होते हैं खफा हम तो दुनिया को भुला देती है
मत गुस्ताखी करना उस माँ से जैद
जो अपने बच्चों की चाह में अपने आप को भुला देती है
from : Hindi Kavita