सोचता हूँ कुछ लिखूं तेरे लिए,फिर रुक जाता हूँ ये सोचकर,की तुम अकेले में,मुझे कैसे याद करती होगी?तब बस,मैं केवल महसूस करत हूँ ,अकेले-अकेले,और मुस्कुराता हूँ,बिलकुल तुम्हारे तरह। जैसे तुम,मुस्कुराती होगी,अकेले में,मुझे सोचकर।
from : Ghazal Shayari