राह न अपनी छोड़ो तुम..
फूल बिछे हों या कांटे हों,
चाहे जो विपदायें आयें,
मुख को जरा न मोड़ो तुम..
साथ रहें या रहें न साथी,
हिम्मत मगर न छोड़ णुम...
नहीं कृपा की भिक्छा मांगो,
कर न दीन बन जोड़ो तुम..
बस ईश्वर पर रखो भरोसा,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो..
जब तक जान बनी हो तन में,
तब तक आगे बढ़े चलो..
from : Hindi Kavita