संभल जा इंसान, ये धरती यूं ही नहीं हिल रही है
नाज़ बहुत करते थे अपनी तरक़्क़ी पे सभी लोगक़ुदरत की एक झपकी ने औक़ात बता दी
from : Bhukamp Shayari