मैंने भी चुप रहके पलट दी बजी।।
छोड़ जाने का कोई दुःख नहीं।
बस कोई ऐसा था जिससे ये उम्मीद न थी।।
मेरी समझ से बाहर है।
मेरे अंदर बैठा हुआ सख्स।।
तू अगर सुन नहीं पाया तो मेरी तरफ गौर से देखा।
बात ऐसी है की दोहराई नहीं जाएगी।।
तुझे खुद से निकाल तो दूँ
मगर सोचता हूँ,
फ़िर मुझमें बचेगा क्या..