शख्सियत को अपनी गुम जाने दो
वक्त को भी थोड़ा बदल जाने दो
तपती धूप सी कठोर है यह जिंदगी
प्यारी यादों की शाम को ढल जाने दो
दूरियां जो दिलों में बस रही है
आंखों की नदियों में बह जाने दो
बहुत संभले हो दिनभर झूठा मूठा
अब खुद को थोड़ा सच में टूट जाने दो
आओ बातें कुछ करके कुछ दिल की
थोड़ी देर तो यह दुनिया भूल जाने दो
कल सुबह फिर वही दौड़ धूप है
इस रात तो सुकून से सो जाने दो
© pallavi gupta
from : Akelapan Shayari