क्यों कतरा कतरा बीते दिन क्यों कतरा कतरा बीती शाम
दिन मेरे अधूरे से रहे रहा लबों पर बस तेरा नाम
क्यों धीमी-धीमी जली रोशनी क्यों फीके-कीके लगे जाम
महफिले तो सजी दुनिया की पर याद आई तेरी यादें तमाम
क्यों हिस्सा हिस्सा जुड़ रहा क्यों किस्सा यह लगे आम
मोहब्बत की गलियों में रब मिले फिर भी हम हो रहे बदनाम
यूँ कतरा कतरा बीते दिन यूँ कतरा कतरा बीती शाम
दिन मेरे अधूरे से रहे रहा लबों पर बस तेरा नाम
© Pallavi Gupta
from : Akelapan Shayari