-----💧एक-घूँट-की-प्यास💧-----
पल्लवी जल्दी-जल्दी सूप तैयार करने में लग गयी। माँ को ठीक ग्यारह बजे सूप के साथ, दवाई भी देनी थी।
आज चालीस दिन हो चले थे। डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया था । इसलिए वह उसे अस्पताल से घर ले आई थी। और आनन फानन घर को ही उसने, आई सी यू बना डाला।
सोचा ही न था कि माँ कभी इतनी गम्भीर रूप से बीमार भी पड़ सकती है। अब वह एक-एक पल माँ के साथ गुजारना चाहती थी। अगर माँ को कुछ हो गया तो … ! वह फफक कर रो पड़ी। कभी माँ के कहे शब्द आज उसके कानों में गूँजने लगे। बचपन में जब भी वह दूध पीने से इंकार करती, माँ यही कहती, “मैं न रहूँगी तब तुझे माँ की कदर मालूम पड़ेगी। मुझे तो कोई पूछने वाला ही नहीं था कि तूने दूध पिया या नहीं।”
आँसू पोंछ कर वह सूप का कप लिए माँ के कमरे की ओर चल दी। जैसे ही आवाज दी, “माँ !”
माँ ने आँखें खोल दीं।
“उठो माँ, सूप लाई हूँ।”
देखकर वह मुस्कुरा दी, “तूने नाश्ता कर लिया?”
“हाँ, कर लिया।”
“सच-सच बता !”
“हाँ सच। मेरा कोई भी झूठ, आजतक तुमसे छुप सका है क्या?”
माँ ने उठने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा दिए।
उसने झट उसका हाथ थामकर उसे अपने सहारे से उठा कर बिठाल दिया और उसके पीछे गाव तकिया लगा दिया। सूप का एक घूँट भरते ही माँ ने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया।
“क्या हुआ?”
“कड़वा है।”
“माँ, ये सूप नहीं, बल्कि दवाई की वजह से तुम्हारा स्वाद बिगड़ गया है।”
“देख, तू मेरे पीछे मत पड़ । चैन से अब मुझे सोने दे।”
“क्यों ना पड़ूँ? तुम भी तो मुझे बचपन में, पीछे पड़-पड़ कर दूध पिलाया करती थी । सूप पी लो, फिर सो जाना।”
“अच्छा तो तू उसका बदला ले रही है अब मुझसे !” हाँफते हुए माँ ने दवाई के साथ सूप का एक घूँट और मुँह में भर लिया।
“बदला थोड़ी न ले रही हूँ माँ। तब तुम मेरी माँ थी और अब, मैं तुम्हारी माँ हूँ।” वह दुलार करते हुए बोली।
माँ की आँखों में प्यार का सागर लहरा उठा। और उसका गाल पर चूमते हुए बोली, ”सचमुच ! अब इस उम्र में जान पाई हूँ, कि माँ क्या होती है? मेरी माँ तो बचपन में ही मुझे छोड़ कर चली गयी थी।”
पल्लवी ने अपनी रुलाई रोकते हुए, माँ को गले से लगा लिया। और उसकी पीठ पर थपकती रही।
माँ थककर सो गई थी। उसने धीरे से उसके पीछे का गाव तकिया हटा कर, उसे उसके तकिये पर लिटा दिया । उसके गालों को चूमने के लिए झुकी ही थी कि धक्क से रह गयी! माँ सचमुच में सो गयी थी, हमेशा के लिए ...।
वह माँ से लिपट कर बिलख-बिलख कर रो पड़ी और रोते हुए बोली, “भगवान ! अगर मेरी माँ को अगला जनम देना, तो फिर उसे उसकी माँ से कभी बिछुड़ने मत देना ...।”
-----