ख्वाहिशात जब मर जाती है तो बस..... समझौते बाकी रह जाते हैं
कहने को दिल में तो बहुत से बाते हैं, मुख़्तसर लफ़्ज़ों में मेरी आखरी ख्वाहिश हो तुम
सुनो तुम्हे सोच सोच कर थक गया हूँ, अब तुम्हें याद आना चाहता हूँ
हमारे लिए नहीं हामी पर सही, चलो वो आज दिल खोलकर हँसे तो सही